चाँद चमकता है
आसमान पर
और चवन्नी हथेली में
माँ बताती है
बचपन में चवन्नी खर्चते हुए
हथेली अक्सर आसमान हो जाती थी
आज जब ढूँढने पर भी
नहीं मिलती चवन्नी
और फ्लैटों की
उँचाइयों के पीछे
रोज बिसूरता है
चंदा मामा
तब सोचता हूँ
हाथों में चवन्नी भींचे
पहले लगता था कि
इस चवन्नी में ही
खरीद लूँगा
फोफी, लेमनचूस, दिलखुशार रेवड़ी,
पॉपिन्स, फिरनी, नानी के लिए पान
और...
कभी आधा
तो कभी
पूरा चाँद
अब जब बच्चे
मांगते हैं टेडी बियर, लेज़र गन,
कृष के खिलौने, वीडियोगेम
और एन्साइक्लोपीडिया की सीडी
तब घबराता हूँ
क्या आने वाली पीढ़ी
ढूंढ पायेगी
विकिपीडिया में
चँदा मामा के किस्से?
कैसे समझाऊंगा उन्हें
क्या है
चवन्निया मुस्कान
जब नहीं रहेगी
चवन्नी और
भाग जाएगा
बच्चों के पलकों पर
पांव रखकर
सपनों का चाँद
और तो और
मैं तो यह भी नहीं
बता पाउँगा कि
कभी चवन्नी में ही
पा जाते थे चाँद
10 comments:
just great...........
very minute and emotional insight....
sometimes i wonder.......
could i be able to know u better?
or could i be able to understand ur emotions and its origin and cause?
or simply i envy u for ur such a great insightful writing?
simply i dont know but admire ur writings.
best wishes
nostalgic...bachpan yaad aa gaya
बहुत खूब दोस्त... कुछ चवन्नियां सहेज़ ली जाएं अपने बच्चों को दिखाने के लिये
bahut khoob mitra....
zamane ke badlav ko bakhoobi bataya hai aapne..
badhayi svikar karen
सच ही कहा है आपने... आप लिखने से बेहतर काम और कुछ कर ही नहीं सकते....
मज़ा आ गया... अति उत्तम रचना.... दिल को छू लिया आपने....
लिखते रहिये.... शुभकामनायें.......
KYA BAAT HAI BIRAADAR BHAI MAJA HI AA GAYA CHAVANNI ITNI MAHATVAPURNA THI PATA TO THA PAR AAJ EHSAAS HO GAYA.. BAHUT UMDA BHAAV HAI...
सच ही कहा है आपने......अति उत्तम रचना....
sir ab to chand ki chandni dikti hai aur naa hi chawani
कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया
सुन्दर प्रस्तुति
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