जिंदगी जीने वाले उस्ताद कई
हम ही नहीं हैं फिर भी बर्बाद कई
एक बार जो दिखा दी हमने बानगी
रुक कर करेंगे मेरा भी इंतजार कई
Tuesday, July 15, 2008
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मैं इसलिए लिखता हूँ क्योंकि मैं इससे बेहतर कोई और काम नही कर सकता हूँ. लिखना अपने होने को बेहतर ढंग से जीने की तरह है और कभी-कभी दूसरों की सांसों को कलम की नोक पर महसूस करने जैसा भी, जो आपको छू ले तो वही नहीं रहने देती जो आप पहले थे. वह पहले थपथपाकर हल्के से दस्तक देती है फिर किवाड़ खोलकर कहती है... आईये हमारी जिंदगी में आपका स्वागत है.
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