अच्छा लगता है
देखना
जब तुम निश्छल हंसती हो
तुम्हारी हँसी
अच्छी है
क्योंकि यह
मांगी हुई
नहीं लगती
मेरी हँसी
थोडी मायूस है
रोने के किश्त पर
उधार पर
लाया हूँ
Friday, June 20, 2008
Wednesday, June 18, 2008
Thursday, June 5, 2008
कपड़े
समय की अलगनी पर
अब भी लटके पड़े हैं
मेरे द्वारा उतारे गए
कितने जिस्म
जो लोगों को कपड़े दिखते हैं
एक जिस्म वह है
जो छोड़ आया था
माँ की स्नेहिल क़दमों के तले
जो अब तक सिसक रहा है
वहीं पड़े
एक जिस्म वह जो
अब तक रोता है
बाप की छाती से लगकर कि
मैंने कुछ बनने का
वायदा किया था
दूर से आती है
मेरे अरमानों के सिसकने की आवाजें
वहीं मेज पर पड़ी है
मेरी पहली कमाई से
खरीदी गई शाँल
जो पिता के लिए थी, जिसे
ओढ़कर भईया अब भी देखते हैं मुझे
जब तब
आदमी की तो फितरत है
क्यों समय!
अब तुम भी
कपड़े बदलने लगे
अब भी लटके पड़े हैं
मेरे द्वारा उतारे गए
कितने जिस्म
जो लोगों को कपड़े दिखते हैं
एक जिस्म वह है
जो छोड़ आया था
माँ की स्नेहिल क़दमों के तले
जो अब तक सिसक रहा है
वहीं पड़े
एक जिस्म वह जो
अब तक रोता है
बाप की छाती से लगकर कि
मैंने कुछ बनने का
वायदा किया था
दूर से आती है
मेरे अरमानों के सिसकने की आवाजें
वहीं मेज पर पड़ी है
मेरी पहली कमाई से
खरीदी गई शाँल
जो पिता के लिए थी, जिसे
ओढ़कर भईया अब भी देखते हैं मुझे
जब तब
आदमी की तो फितरत है
क्यों समय!
अब तुम भी
कपड़े बदलने लगे
Tuesday, June 3, 2008
द्वंद्व
काश्मीर
पीले गुलाबों का रंग
चम्पई धूप में खिले
पीले गुलाबों का रंग
इन आंखों से कबका उतर जाता
गर उनसे जुड़ी
तुम्हारी यादें न होतीं
सच है
पुराने मौसमों में खिले
फूलों के रंग
कभी नही जाते हैं
पीले गुलाबों का रंग
इन आंखों से कबका उतर जाता
गर उनसे जुड़ी
तुम्हारी यादें न होतीं
सच है
पुराने मौसमों में खिले
फूलों के रंग
कभी नही जाते हैं
Monday, June 2, 2008
नियति
मैं तुमसे मिलूंगा
इतिहास के पन्नों में दर्ज होने से पहले
यह मेरा वादा है
पर ठीक ऐसा का ऐसा ही
यह कहना आज थोड़ा कठिन है, कल
नामुमकिन होगा
तुम्हारे काले घने बालों के अनंत में
जब एक अनाम रिश्ते का सूरज
अंगुलियों सा सिहरेगा
तब ठूंठ हो चुकी रिश्ते की शाख पर
मैं एक पीला गुलाब तब भी बचाए रखूंगा
पर यह कहना आज थोड़ा कठिन है, कल
शायद नामुमकिन हो कि
मैं तब भी बचा पाउँगा
अपनी हथेली में सपने और
तुम्हारी गर्म गालों का एहसास
तब शायद मेरे टूटे जूते में ही हो जाए
पूरी की पूरी बरसात
इतिहास के पन्नों में दर्ज होने से पहले
यह मेरा वादा है
पर ठीक ऐसा का ऐसा ही
यह कहना आज थोड़ा कठिन है, कल
नामुमकिन होगा
तुम्हारे काले घने बालों के अनंत में
जब एक अनाम रिश्ते का सूरज
अंगुलियों सा सिहरेगा
तब ठूंठ हो चुकी रिश्ते की शाख पर
मैं एक पीला गुलाब तब भी बचाए रखूंगा
पर यह कहना आज थोड़ा कठिन है, कल
शायद नामुमकिन हो कि
मैं तब भी बचा पाउँगा
अपनी हथेली में सपने और
तुम्हारी गर्म गालों का एहसास
तब शायद मेरे टूटे जूते में ही हो जाए
पूरी की पूरी बरसात
जंगल, शहर या मैं
मैं एक जलता हुआ पेड़
मुझे निर्वासित किया है जंगल ने
जलने के डर से
अब रोज मुझमे एक जंगल जलता है
शहर पैदा होता है
फिर शहर फैलता है मुझमें
जंगल बनता है
इसी तरह मैं जीवित रहता हूँ
मैं जीवित रहता हूँ
इसलिए जलता हूँ
मैं जंगल, शहर या फिर
दोनों में ही
मरता हुआ पेड़ हूँ
मुझे निर्वासित किया है जंगल ने
जलने के डर से
अब रोज मुझमे एक जंगल जलता है
शहर पैदा होता है
फिर शहर फैलता है मुझमें
जंगल बनता है
इसी तरह मैं जीवित रहता हूँ
मैं जीवित रहता हूँ
इसलिए जलता हूँ
मैं जंगल, शहर या फिर
दोनों में ही
मरता हुआ पेड़ हूँ
Subscribe to:
Posts (Atom)